भोपाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में ज्योतिरादित्य सिंधिया और डा. वीरेंद्र कुमार के शामिल होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़ गई है। पहले प्रदेश से पांच मंत्री थे, अब छह हो गए हैं।
सिंधिया का नाम काफी समय से केंद्रीय मंत्री के तौर पर तय माना जा रहा था, लेकिन डा. वीरेंद्र कुमार का नाम शामिल कर जातिगत संतुलन साधा गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाने का इनाम मिला है।
वहीं, थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त करने के बाद रिक्त हुए अनुसूचित जाति वर्ग के चेहरे की भरपाई के तौर पर डा. वीरेंद्र कुमार को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के समय से ही सिंधिया को राज्यसभा में भेजने और फिर केंद्रीय मंत्री बनाने की चर्चा रही है। राज्यसभा सदस्य बनने के बाद बुधवार को मोदी कैबिनेट में शामिल होने के साथ ही दोनों चर्चाएं सही साबित हुई। सिंधिया के कारण ही मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनना संभव हुआ था। इसी कारण सिंधिया और उनके समर्थकों का महत्व प्रदेश की सत्ता और संगठन में हमेशा बरकरार रखा गया।
अब सिंधिया के केंद्र में मंत्री बनाने से यह संदेश भी दिया गया है कि अन्य दलों से भाजपा में आने वालों को पार्टी के पुराने नेताओं के समान ही अधिकार और सम्मान दिया जा रहा है।
प्रदेश में भी राजनीतिक लिहाज से सिंधिया का कद बढ़ा है। अजा वर्ग में अब डा. वीरेंद्र कुमार होंगे पार्टी का चेहरा अभी तक थावरचंद गहलोत देश में पार्टी की ओर से अनुसूचित जाति वर्ग का चेहरा थे। उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है।
इसी की भरपाई के तौर पर टीकमगढ़ से सांसद डा. वीरेंद्र कुमार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। वे छह बार से सांसद हैं और अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं।
वे मोदी के पहले कार्यकाल के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं। डा. वीरेंद्र कुमार को जनता चौपाल के लिए भी जाना जाता है। वह सहज भाव और बिना प्रचार के लोगों से संवाद करते हैं। अजा वर्ग में उनकी स्वीकार्यता है।
अब ये हैं मप्र कोटे से मंत्री मप्र से अभी तक नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, थावरचंद गहलोत और धर्मेंद्र प्रधान (मप्र के कोटे से राज्यसभा सदस्य) मोदी कैबिनेट में थे।
गहलोत की जगह डा. वीरेंद्र कुमार को लिया गया है। ज्योतिरादित्य के शामिल होने से मप्र का प्रतिनिधित्व वाले मंत्रियों की संख्या छह हो गई है।