बसंत पंचमी : जानिए शुभ मुहूर्त, सफलता के लिए विद्यार्थी क्या करें, बच्चों से कैसे कराएं पूजा

धर्म ।  इस साल 2022 में बसंत पंचमी 5 फरवरी को आ रही है। इस दिन शुभ मुर्हूत में किया गया सरस्वती पूजन विशेष फलदायी होता है। साथ ही विद्यार्थी सफलता के लिए कैसे पूजन करें, यह जानना भी जरुरी है। बसंत पंचमी अबूझ मुर्हूत माना जाता है। शुभ कार्य इस दिन किए जा सकते हैं।

बसंत पंचमी का मुर्हूत-

बसंत पंचमी का शुभ मुर्हूत प्रात: 6.59 बजे से दोपहर 12.35 बजे तक है। बसंत पंचमी सभी के लिए महत्व रखती है। बसंत पंचमी पर विद्यार्थियों को माता सरस्वती की आराधना अवश्य करनी चाहिए। जो लोग सरस्वती के कठिन मंत्र का जप नहीं कर सक‍ते, उनके लिए मां सरस्वती के सरल मंत्र हैं। बसंत पंचमी में इस मंत्र का पाठ करने से विद्या और बुद्धि में वृद्धि होती है। उसके लिए मंत्र है-

‘ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।’

– मां सरस्वती का सुप्रसिद्ध मंदिर मैहर में स्थित है। मैहर की शारदा माता को प्रसन्न करने का मंत्र इस प्रकार है-

‘शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे।

सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।’

– शरद काल में उत्पन्न कमल के समान मुखवाली और सब मनोरथों को देने वाली मां शारदा समस्त समृद्धियों के साथ मेरे मुख में सदा निवास करें।

मां सरस्वती का बीज मंत्र ‘क्लीं’ है। शास्त्रों में क्लींकारी कामरूपिण्यै यानी ‘क्लीं’ काम रूप में पूजनीय है।

नीचे दिए गए मंत्र से मनुष्य की वाणी सिद्ध हो जाती है। समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाला यह मंत्र सरस्वती का सबसे दिव्य मं‍त्र है।

सरस्वती गायत्री मंत्र : ‘ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।’

इस मंत्र की 5 माला का जाप करने से साक्षात मां सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं तथा साधक को ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है। विद्यार्थियों को ध्यान करने के लिए त्राटक अवश्य करना चाहिए। 10 मिनट रोज त्राटक करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। एक बार अध्ययन करने से कंठस्थ हो जाता है।

नील सरस्वती के पूजन का भी है खास महत्व

शास्त्रों में वर्णित है कि बसंत पंचमी के दिन ही शिव जी ने मां पार्वती को धन और सम्पन्नता की अधिष्ठात्री देवी होने का वरदान दिया था। उनके इस वरदान से मां पार्वती का स्वरूप नीले रंग का हो गया और वे ‘नील सरस्वती’ कहलाईं।

बसंत पंचमी के दिन नील सरस्वती का पूजन करने से धन और सम्पन्नता से सम्बंधित समस्याओं का समाधान होता है। बसंत पंचमी की संध्याकाल को ‘ऐं ह्रीं श्रीं नील सरस्वत्यै नम:’ मंत्र का जापकर गौ सेवा करने से धन वृद्धि होती है।

उज्जैन में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा सिंहपुरी क्षेत्र में बिजासन माता मंदिर के सामने प्रतिष्ठित हैं। जिन्हें सभी भक्त बरसों से स्याही अर्पित करते हैं। मान्यता है कि वही नील सरस्वती हैं।

छोटे बच्चों से कैसे कराएं पूजन

बसंत पंचमी के दिन छोटे बच्चों को अक्षराभ्यास कराया जाता है। अक्षराभ्यास से तात्पर्य यह है कि विद्या अध्ययन आरंभ करने से पहले बच्चों के हाथ से अक्षर लिखना प्रारम्भ कराना। इसके लिए माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर बैठें। बच्चे के हाथ से गणेश जी को पुष्प समर्पित कराएं और स्वस्तिवचन इत्यादि का पाठ करके बच्चे की जुबान पर शहद से ‘ऐं’ लिखें।
– स्लेट पर खड़िया या चॉक से या कागज पर रक्त चंदन स्याही के रूप में उपयोग करते हुए अनार की कलम से ॐ, श्रीं, अं और ‘ऐं’ लिखवा कर अक्षराभ्यास करवाएं।
– बच्चे के हाथ में मोर पंख दें और उसे स्याही में डूबोकर स्वास्तिक बनवाएं।
– बच्चा जब बड़ा होने लगे तब बच्चे से इस मंत्र का प्रतिदिन उच्चारण कराएं-

सरस्वती महामाये दिव्य तेज स्वरूपिणी।

हंस वाहिनी समायुक्ता विद्या दानं करोतु मे।

इस प्रक्रिया को करने से बच्चे की बुद्धि तीव्र होगी। उनकी स्मरण शक्ति और प्रखर होगी। एक थाली को चावल से भर लें और उस पर बच्चे की अंगुली पकड़ कर ॐ, श्रीं, अं और ‘ऐं’ लिखवाएं।

बसंत पंचमी पर अपनाएं यह सटीक उपाए

बसंत पंचमी वीणावादिनी मां सरस्वती की आराधना का पर्व है। इस दिन विद्या और बुद्धि प्राप्ति के अलावा अपने संकटों के नाश के लिए भी सरस्वती देवी से प्रार्थना की जा सकती है। इसके लिए यह करें अचूक उपाय-

1.बुद्धि में विकास के लिए बसंत पंचमी के दिन काली मां के दर्शन कर पेठा या कोई भी फल अर्पित कर ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वत्यै नम:’ मंत्र का सस्वर जाप करना चाहिए।

2. न्यायिक मामलों, पति-पत्नी संबंधी विवादों या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के समाधान के लिए दुर्गा सप्तशती में वर्णित ‘अर्गला स्तोत्र’ और ‘कीलक स्तोत्र’ का पाठ कर श्वेत वस्त्र का दान करने से लाभ होगा।

3. संगीत के क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं, तो मां सरस्वती का ध्यान कर के ‘ह्रीं वाग्देव्यै ह्रीं ह्रीं’ मंत्र का जाप करें। शहद का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।

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