नई दिल्ली : भारत 6 से 8 अगस्त 2025 तक WHO-IRCH Herbal Medicine Workshop India की मेजबानी करेगा। यह कार्यशाला आयुष मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी भेषज संहिता आयोग (PCIM&H) के सहयोग से आयोजित की जा रही है। इसका उद्देश्य हर्बल औषधि नियामक तंत्र को मज़बूत बनाना और वैश्विक स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देना है।
उद्घाटन और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी : कार्यशाला का उद्घाटन आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और WHO-IRCH के अध्यक्ष डॉ. किम सुंगचोल करेंगे। इसमें भूटान, जापान, नेपाल, श्रीलंका और ज़िम्बाब्वे सहित कई देशों के प्रतिनिधि प्रत्यक्ष रूप से शामिल होंगे, जबकि ब्राज़ील, मिस्र और अमेरिका वर्चुअल रूप से भाग लेंगे।
कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य
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वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना
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हर्बल औषधि सुरक्षा और प्रभावकारिता तंत्र को सशक्त करना
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नियामक ढांचे का समर्थन करना
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पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल करना
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केस स्टडी और प्रशिक्षण के माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान साझा करना
व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुसंधान : प्रतिभागियों को PCIM&H प्रयोगशालाओं में एचपीटीएलसी तकनीक के जरिए हर्बल औषधि पहचान, भारी धातु विश्लेषण और कीमो-प्रोफाइलिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही आयुष सुरक्षा (फार्माकोविजिलेंस) कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी, जिसका उद्देश्य पारंपरिक औषधियों की सुरक्षा निगरानी को मज़बूत करना है।
विशेष सत्र और अध्ययन : कार्यशाला में WHO-IRCH कार्य समूह 1 और 3 की समीक्षा की जाएगी, जो हर्बल औषधियों की सुरक्षा और नियामन पर केंद्रित है। इसके अलावा पूर्व-नैदानिक अनुसंधान, सुरक्षा केस स्टडी और अश्वगंधा (Withania Somnifera) पर विशेष चर्चा भी होगी।
संस्थानों का दौरा : प्रतिनिधि PCIM&H, राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (NIUM) गाजियाबाद और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) नई दिल्ली का दौरा करेंगे, जिससे उन्हें भारत के एकीकृत स्वास्थ्य तंत्र को समझने का अवसर मिलेगा।
वैश्विक स्वास्थ्य में योगदान : विभिन्न महाद्वीपों के नियामक प्राधिकरणों की भागीदारी से यह कार्यशाला वैश्विक मानकों को सुसंगत बनाने और पारंपरिक चिकित्सा के सुरक्षित एकीकरण में अहम भूमिका निभाएगी।


