Datia news : दतिया। प्रेम की पराकाष्ठा में भगवान से भी भक्त एक सामान्य मनुष्य की तरह व्यवहार करने लगता है। हमारे शास्त्रों में भी उल्लेख है कि भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जन्म के समय उनकी माताओं ने भी उनसे चतुर्भुज रूप त्याग कर एक सामान्य शिशु की तरह लीला करने का अनुरोध किया था।
आस्था का ऐसा ही एक वाक्या गुरुवार को दतिया में भी देखने को मिला। जब एक महिला भगवान श्रीकृष्ण का इलाज कराने उन्हें डाक्टर के पास लेकर जिला अस्पताल पहुंच गई। इस दौरान महिला का पति भी उसके साथ था। उसका कहना था कि तमाम समझाने के बाद भी जब पत्नी नहीं मानी तो वह भी भगवान की मूर्ति के साथ उसे जिला अस्पताल ले आया।
इधर जिला अस्पताल में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को लेकर गोद में बैठी महिला को देखकर सभी लोग उसे कौतूहल से देख रहे थे। वहीं डाक्टर भी हैरान थे कि भगवान का आखिर वे कैसे इलाज करें। लेकिन महिला मानने को तैयार नहीं थी। वह भगवान श्रीकृष्ण का उपचार करने की जिद पर अड़ी थी। महिला की मानसिक स्थिति भी देखने और बोलने में बिल्कुल सामान्य थी। इसलिए डाक्टर यह भी नहीं सोच पा रहे थे कि वह अब क्या करें।
डाक्टर ने महिला को बैठाकर दी समझाइश : ऐसे में डाक्टर ने महिला को आराम से बैठाकर मूर्ति को हाथ में लिया और उसे समझाया कि भगवान पूरी तरह स्वस्थ्यहैं। उन्हें उपचार की आवश्यकता नहीं है। डाक्टर की काफी समझाइश के बाद महिला मूर्ति को लेकर अपने पति के साथ वापिस लौट गई।
दरअसल इंदरगढ़ तहसील के ग्राम पडरी निवासी महिला सजरी यादव अपने घर मेंं पूजा कर रही थी। इसी दौरान दीपक के घी से आग लग जाने से मंदिर में रखी भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति भी चपेट में आ गई। बस फिर क्या था महिला अपने पति प्रमोद कुमार के साथ भगवान का इलाज कराने उन्हें लेकर जिला अस्पताल पहुंच गई। यहां मौजूद डाक्टर का कहना था कि यह उनके जीवन का पहला वाक्या था।