Datia news : दतिया । शिक्षा का दान सबसे बड़ा माना गया है। किसी भी अभावग्रस्त बच्चे की शिक्षा का दायित्व उठाकर हम वास्तव में समाज की सेवा कर सकते हैं। क्योंकि यही बच्चे शिक्षित होकर बाद में समाज और देश का नाम रोशन करते हैं। इसलिए ऐसे बच्चों की मदद के लिए अवश्य आगे आना चाहिए। यह बात युवा समाजसेवी अमित अग्रवाल ने सरस्वती शिशु मंदिर भरतगढ़ में आयोजित प्रार्थना सभा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही। अपने संबोधन में अमित अग्रवाल ने कहाकि किसी जरुरतमंद की मदद करना ही वास्तव में समाज की सेवा है। इसीलिए ऐसा व्यक्ति जो निस्वार्थ भाव से किसी की मदद करता है, वह समाजसेवी कहलाता है।
उन्होंने कहाकि समाजसेवा करने की कोई उम्र नहीं होती। सभी किसी न किसी रूप में जहां संभव हो सके जरुरतमंद की मदद करें। इसलिए कहा जाता है कि समाजसेवा का न अवसर गंवाओ, युवाओं व्यर्थ न तुम ऊर्जा गंवाओ, जरा सभी इस ओर कदम बढ़ाओ।
बच्चों की शिक्षा के लिए निभाया दायित्व : इस मौके पर युवा समाजसेवी अमित अग्रवाल ने विद्यालय में अध्ययनरत आर्थिक अभाव के चलते कुछ बच्चों की फीस की जिम्मेदारी उठाने का संकल्प लिया। साथ ही विद्यालय के प्राचार्य कपिल तांबे को बच्चों की फीस की राशि का चैक भी सौंपा।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में दीपक भंवानी उपस्थित रहे। जबकि अध्यक्षता विद्यालय के प्राचार्य कपिल तांबे ने की। अतिथियों का स्वागत विद्यालय के संगीत आचार्य विनोद पुरोहित ने स्वागत गीत गाकर तथा उच्चतर इकाई के भैया बहिनों के प्रतिनिधि मंडल ने हिंदू परंपरा के अनुरूप माथे पर तिलक एवं श्रीफल भेंटकर किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्यालय प्राचार्य कपिल तांबे ने कहाकि आज के समय में युवा ही समाज की दिशा एवं दशा बदल सकते हैं। संस्था को ऐसे युवाओं पर गर्व हैं। आशा है कि सामजिक कार्य करने वाले और भी युवा आगे आएंगें तथा जरुरतमंद लोगों के लिए सहारा बनेंगे। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य, अभिभावकगण एवं छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
सामाजिक सरोकार में आगे रहते हैं अमित अग्रवाल : उल्लेखनीय है कि युवा समाजसेवी अमित अग्रवाल समाजसेवा से जुड़े कार्यों में लगातार बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। साथ ही जरुरतमंदों की समय-समय पर मदद में भी पीछे नहीं रहते। हाल ही उन्होंने जिला अस्पताल के एनआरसी केंद्र में भी खिलौने व झूले आदि की बच्चों के लिए व्यवस्था कराई थी। वह अपना जन्मदिन भी मूक बधिर विद्यालय सहित गरीब बच्चों की बस्ती में जाकर मनाते हैं। उनका कहना है कि अपनी खुशी में सभी को शामिल करने से आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।